From timeless classics to contemporary masterpieces, these Hindi fiction guides are definitely the best you can get your hands on.
(एक) खजूर के वृक्षों की छोटी-सी छाया उस कड़ाके की धूप में मानो सिकुड़ कर अपने-आपमें, या पेड़ के पैरों तले, छिपी जा रही है। अपनी उत्तप्त साँस से छटपटाते हुए वातावरण से दो-चार केना के फूलों की आभा एक तरलता, एक चिकनेपन का भ्रम उत्पन्न कर रही है, यद्यपि अज्ञेय
‘लोग मुझे खनी कहते हैं। पुलिस मुझे ढंढ रही है! कानून मुझे फाँसी पर चढाने के लिए मचल रहा है! लेकिन उन सभी को यह नहीं मालूम कि मैंने जिन लोगों का खून किया है, वे लोग किस कदर कानून को हाथ में लिए घूम रहे थे?
'उसने कहा था' हिंदी की ऐसी कालजयी कहानी है जिसकी प्रासंगिकता और सार्वकालिकता इसके कथानक पर ही नहीं, इसकी भाषिक संरचनात्मक विशिष्टता पर भी आधारित है.
यह कहानी पंचतंत्र या ईसप की सूत्र कथाओं की तरह है, लेकिन मौजूदा दौर में भोगवादी (हेडोनिस्ट या फिलिस्टिनिस्टिक कंज़्यूमरिज़्म) मानसिकता की वजह से अपनी स्वतंत्रता खोकर ग़ुलाम हो जाने की प्रवृत्ति पर यह एक स्मरणीय टिप्पणी है.
फिर हरी खुद ही घर से निकला और मिठाई की दूकान के सामने पहुँच गया। वह वहां खड़ा हो कर सोचने लगा की बिना पैसे के मिठाई कैसे खायी जाए। कुछ देर बाद उसने देखा की हलवाई दुकान अपने छोटे बेटे को सँभालने दे कर खुद सोने जा रहा है। यह देख कर हरी के दिमाग में एक तरकीब आयी। वह दूकान पर पहुंचा और मिठाई मांगने लगा। इस पर हलवाई के बेटे ने हरी से पैसे मांगे। हरी ने कहा की उसे मिठाई खाने के लिए पैसे देने की ज़रुरत नहीं है। हलवाई के बेटे को हरी की बात का यकीन न आया। हरी ने हलवाई के बेटे से कहा की की वह जाए और अपने पिताजी को बता आये की दुकान पर मिठाई खाने हरी आया है फिर देखते हैं वह क्या कहते हैं। हलवाई के बेटे ने ऐसा ही किया। हलवाई यह सुन कर भड़क गया की उसका बेटा उसे मक्खी के दूकान पर आने जैसी छोटी बात के लिए जगाने आ गया। उसने अपने बेटे को वहां डांट के भगा दिया। हलवाई के बेटे ने फिर हरी से कुछ न कहा। हरी ने मनपसंद मिठाई खायी और वहां से खिसक लिया।
अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर भगवतीचरण वर्मा
इमेज कैप्शन, राजेंद्र यादव संकलित इस किताब में उषा प्रियंवदा, कृष्णा सोबती, कमलेश्वर, रेणु और भीष्म साहनी की कहानियाँ संकलति हैं.
पेंटिंग की कोई भी प्रतियोगिता स्कूल में होती, तो उसमें वह प्रथम स्थान प्राप्त करता। मुकेश की पेंटिंग की सराहना स्कूल में भी की जाती थी।
विशाल रोता-रोता वापस तालाब में गया और कवच को पहन लिया। कम से कम कवच से जान तो बचती है।
अचानक हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी।
इन्दुमती अपने बूढ़े पिता के साथ विंध्याचल के घने जंगल में रहती थी। जबसे उसके पिता वहाँ पर कुटी बनाकर रहने लगे, तब से वह बराबर उन्हीं के साथ रही; न जंगल के बाहर निकली, न किसी दूसरे का मुँह देख more info सकी। उसकी अवस्था चार-पाँच वर्ष की थी जबकि उसकी माता का परलोकवास किशोरीलाल गोस्वामी
दोनों बकरियां घास को खाकर खुश रहती थी।
वह इस समय दूसरे कमरे में बेहोश पड़ा है। आज मैंने उसकी शराब में कोई चीज़ मिला दी थी कि ख़ाली शराब वह शरबत की तरह गट-गट पी जाता है और उस पर कोई ख़ास असर नहीं होता। आँखों में लाल ढोरे-से झूलने लगते हैं, माथे की शिकनें पसीने में भीगकर दमक उठती हैं, होंठों कृष्ण बलदेव वैद